वैसे तो इस समय पूरी दुनिया में भारत और नेपाल ही मात्र ऐसे देश हैं जहां अनादिकाल से हिंदुओं की संख्या अधिक रही है। और अगर भारत और नेपाल में हिंदुओं की संख्या अधिक रही है तो जाहिर है कि यह हिंदुओं के लिए अति प्राचीन देश भी है। ऐसे में यहां हिंदुओं के धर्मस्थल भी सैकड़ों या हजारों सालों से रहे होंगे। लेकिन अगर इन देशों के अलावा कुछ ऐसे देशों में जो पूरी तरह से मुस्लिम देश हैं वहां भी अगर हाल ही में बने कुछ आकर्ष और भव्य मंदिर हैं या फिर सैकड़ों और हजारों साल पुराने हिंदू मंदिर और पूजास्थल हैं या फिर समय-समय पर होने वाली पुरातात्विक खुदाईयों के दौरान उनके अवशेष प्राप्त होते हों तो आश्चर्य होता है कि आखिर हिन्दू धर्म के अति प्राचीन अवशेष उन मुस्लिम देशों में कैसे प्राप्त हो रहे हैं या सैकड़ों और हजारों साल पहले भला कैसे ये मंदिर उन मुस्लिम देशों में कैसे वजूद में आये होंगे। पेश है ऐसे ही कुछ देशों में मौजूद हिंदू मंदिरों के बारे में –
इंडोनेशिया – भले ही आज इंडोनेशिया दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम देश है, लेकिन फिर भी वहां की संस्कृति में हिंदू धर्म के सभी तौर तरीकों की झलक देखने को मिलती है। यहां के बाली शहर में बड़ी संख्या में पौराणिक और ऐतिहासिक काल के हिंदू मंदिरों के अवशेष मौजूद हैं जिनसे अनुमान लगाया जाता है कि यहां पौराणिक युग में हिन्दूधर्म का वर्चस्व रहा होगा। नौवीं सदी में बने ब्रम्हा, विष्णु और महेश को समर्पित प्रामबानान के मंदिर बहुत ही आकर्षक और मनमोहक लगते हैं।
पाकिस्तान – पाकिस्तान किसी समय में अखण्ड भारत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हुआ करता था, इसलिए यहां के लगभग हर हिस्से में हिंदू मंदिरों के कई महत्वपूर्ण अवशेष आज भी पाये जाते हैं जिनमें पाकिस्तान के चकवाल जिले में स्थित कटासराज मंदिर महत्वपूर्ण है। कटासराज मंदिर परिसर में मौजूद राम मंदिर, हनुमान मंदिर और प्रमुख शिव मंदिर अति प्राचीन और हिंदू धर्म के लिए प्रमुख आस्था का केन्द्र हैं।
कटासराज मंदिर परिसर में मौजूद जलकुण्ड की महिमा हिन्दू धर्म के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसके अलावा कराची में मनोरा द्वीप समुद्र तट पर स्थित जुड़े वरुण देव मंदिर भी लगभग 1,000 वर्ष पुराना है। हालांकि पाकिस्तान का पुरातात्विक विभाग इन सभी अवशेषों की विशेष देखभल कर रहा है लेकिन उनकी दशा आज बहुत ही बदतर हालत में है।
मलेशिया – मलेशिया के गोमबाक क्षेत्र में बातु गुफाओं में कई प्राचीन हिंदू मंदिर मौजूद हैं। गुफा के प्रवेश स्थल पर हिंदू देवता मुरुगन की विशाल प्रतिमा देखी जा सकती है। मलेशिया की बुजांग घाटी में भवन निर्माण उद्योग से जुड़े लोगों ने यहां कुछ साल पहले कई प्राचीन हिंदू मंदिर के अवशेषों को नष्ट करने का प्रयास किया है। जबकि मलेशिया के पुरातात्विक विभाग का मानना है कि यहां लगभग दो हजार साल पुराने हिंदू मंदिरों के अवशेष हैं। कई स्थानिय लोगों ने मलेशिया की सरकार पर आरोप लगाया है कि हिंदू मंदिरों के ये अवशेष मलेशिया में इस्लाम के उदय से पहले के हैं इसलिए उन्हें नष्ट किया जा रहा है। इसके अलावा आज भी मलेशिया में हिंदू तमिल समुदाय के बहुत से लोग रहते हैं और इसलिए यहां बहुत सारे मंदिर हैं।
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अफगानिस्तान – गृह युद्ध की मार झेल रहे अफगानिस्तान जैसे कट्टर मुस्लिम देश में रहने वाले हिंदुओं की संख्या अब लगभग न के बराबर ही बची है। और जो है वह भी ज्यादातर काबुल या अन्य दूसरे बड़े शहरों में ही रहते हैं। ऐसे में वहां मुस्लिम धर्म के अलावा अन्य किसी अन्य धर्म के धर्मस्थलों का अस्तित्व में रहना असंभव है। लेकिन फिर भी काबुल जैसे शहर में कुछ प्राचीन हिंदू मंदिरों के अवशेष शेष बचे हुए हैं।
बांग्लादेश – हमारे पड़ौसी मुल्क बांग्लादेश की राजधानी ढाका के ढाकेश्वरी मंदिर में बड़ी संख्या में हिंदू श्रद्धालु पहुंचते हैं। इसके बांग्लादेश की आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी लगभग दस फीसदी है। जबकि एक समय में यह अखण्ड भारत का ही हिस्सा था इसलिए बांग्लादेश के लगभग हर हिस्से में हिंदू मंदिरों के अवशेष आज भी पाये जाते हैं।
लेबनान – लेबनान जैसे मुस्लिम देश में रहने वाले हिंदूओं की संख्या बहुत ही कम है, लेकिन फिर यहां के जाइतून नामक क्षेत्र में हिंदू मंदिर मौजूद है। हालांकि, 2006 के इजराइल-हिज्बोल्लाह युद्ध के बाद वहां हिंदुओं की संख्या में भारी कमी आई।
ओमान – ओमान के मस्कट में श्रीकृष्ण मंदिर और एक गुरुद्वारा भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब यहां फरवरी 2018 में ओमान की यात्रा पर गए थे तब वे राजधानी मस्कट के इस शिव मंदिर में भी गए थे।
बहरीन – भारत से बहुत से लोग रोजी-रोटी की तलाश में बहरीन जाते हैं, जिनमें हिंदुओं की संख्या भी शामिल अच्छी-खासी होती है। ऐसे में उनकी धार्मिक आस्थाओं के मद्देनजर वहां की सरकार ने शिव मंदिर और अयप्पा मंदिर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
यूएई – संयुक्त अरब अमीरात के दुबई में अभी सिर्फ एक ही मंदिर है जो शिव और कृष्ण नाम से प्रसिद्ध है। जबकि, जल्द ही इसके दूसरे शहर अबु धाबी में भी एक हिंदू मंदिर बनकर तैयार होने वाला है जिसकी आधारशिला प्रधानमंत्री मोदी ने रखी थी।
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