Skip to content
25 August 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • धर्मस्थल
  • विशेष
  • श्रद्धा-भक्ति

अद्भूत और दुर्लभ है आगरा का कैलाश महादेव मंदिर | Kailash Mahadev Mandir Agra

admin 12 December 2021
Kailash Mahadev Mandir Agra
Spread the love

आगरा में पौराणिक काल यानी त्रेता युग का एक ऐसा दुर्लभ शिव मंदिर जिसमें हैं दो ज्योतिर्लिंग विराजित हैं। और इस बात के प्रमाण हमारे कई धर्मगं्रथों में मौजूद हैं। आमतौर पर यहां आने वाले कई भक्तों को मंदिर के गर्भगृह में एक साथ दो शिवलिंगों को देखकर कुछ आश्चर्य तो होता है लेकिन वे फिर भी इसे नजरअंदाज कर देते हैं। जबकि, बहुत ही कम लोग इन दो शिवलिंगों के एक साथ होने की विस्तृत जानकारी ले पाते हैं।

आज भी बहुत ही कम लोगों को इस बात की जानकारी है कि आगरा में एक ऐसा शिवलिंग मंदिर भी है जहां दो शिवलिंग एक साथ स्थापित हैं और उनका संबंध त्रेता युग से जुड़ा हुआ है। इसीलिए यह शिव मंदिर एक ऐसा दुर्लभ मंदिर है जिसमें विराजित ज्योतिर्लिंगों को भगवान परशुराम और उनके पिता जमदग्नि के द्वारा स्वयं स्थापित किया गया था।

आगरा के इस कैलाश महादेव मंदिर को लेकर मान्यता है कि यह भगवान शिव का एक दुलर्भ मंदिर है जो दुनिया में और कहीं नहीं है। क्योंकि इस मंदिर के गर्भगृह में एकसाथ दो शिवलिंग स्थापित है। यहां आने वाले भक्तों और श्रद्धालुओं के लिए जितना महत्व आगरा के इस कैलाश महादेव मंदिर का है उतना ही पुराना इस मंदिर का इतिहास भी है और उतनी ही महत्वपूर्ण और रोचक है इसकी पौराणिक मान्यताएं और किंवदंदियां।

Kailash Mahadev Mandir Agraपौराणिक कथाओं के अनुसार, इस मंदिर का अपना अलग ही एक महत्व है। माना जाता है कि इस कैलाश महादेव मंदिर में स्थित इन दोनों ही पवित्र शिवलिंगों की स्थापना आज से हजारों साल पहले त्रेता युग में हुई थी और भगवान परशुराम और उनके पिता जमदग्नि के द्वारा इन शिवलिंगों की स्थापित की गई थी। भगवान परशुराम के पिता जमदग्नि ऋषि का आश्रम रेणुका धाम भी यहां से पांच से छह किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है। और यह वही रेणुकाधाम आश्रम है जिसका उल्लेख श्रीमद्भागवत गीता में भी वर्णित है।

आगरा का पौराणिक इतिहास और युगों-युगों का रहस्य | History of Agra

पौराणिक मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान विष्णु के छठवें अवतार भगवान परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि भगवान शिव की आराधना करने के लिए कैलाश पर्वत पर गए थे। पिता और पुत्र दोनों ही ने कई वर्षों तक वहां कड़ी तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान मांगने को कहा। इस पर भगवान परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि ने भगवान शिव से अपने साथ चलने और हमेशा साथ रहने का आशीर्वाद मांग लिया। कहा जाता है कि भगवान शिव खुद तो उनके साथ नहीं आये लेकिन आशीर्वाद स्वरूप परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि को एक-एक शिवलिंग भेंट में दे दिए।

महाभारत में भी मिलता है कैलाश महादेव मंदिर का उल्लेख | Kailash Mahadev in Agra

पौराणिक तथ्यों के अनुसार बताया जाता है कि जब पिता और पुत्र दोनों ही यमुना के किनारे अग्रवन में बने अपने आश्रम रेणुका के लिए चल दिए। लेकिन, आश्रम पहुंचने से पहले ही लगभग 6 किलोमीटर पहले उनको रात्रि विश्राम के लिए रुकना पड़ा। रात्रि विश्राम के पहले उन्होंने वे दोनों ही शिवलिंग अस्थायी रूप से वहां स्थापित कर दिए। और फिर अगले दिन प्रातः यमुना स्नान करने के बाद भगवान परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि उन ज्योतिर्लिंगों को आगे की यात्रा में ले जाने के लिए पहुंचे और उन्हें उठाने का प्रयास किया, लेकिन वे उन ज्योर्तिलिंगों को उस जगह से नहीं उठा पाए। इसके बाद पिता-पुत्र दोनों ने उसी जगह पर उन दोनों शिवलिंगों की पूजा-अर्चना कर पूरे विधि-विधान से स्थापित कर दिया और उन्होंने इन ज्योतिर्लिंगों को नाम दिया ‘कैलाश महादेव’। बताया जाता है कि तभी से इन दोनों ही ज्योतिर्लिंगों को कैलाश महादेव के नाम से जाना जाता है।

कैलाश महादेव का यह मंदिर आगरा शहर से करीब 8 किलोमीटर दूर यमुना नदी की तलहटी में बसे कैलाश सिकंदरा क्षेत्र में स्थित है।

– गणपत सिंह, खरगौन (मध्य प्रदेश)

About The Author

admin

See author's posts

7,145

Like this:

Like Loading...

Related

Continue Reading

Previous: आज भी जाग्रत हैं उज्जैन के काल भैरव | Secrets of Kaal Bhairav
Next: महाभारत में भी मिलता है कैलाश महादेव मंदिर का उल्लेख | Kailash Mahadev in Agra

Related Stories

marigold Vedic mythological evidence and importance in Hindi 4
  • कृषि जगत
  • पर्यावरण
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व

admin 20 August 2025
brinjal farming and facts in hindi
  • कृषि जगत
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व

admin 17 August 2025
Queen Sanyogita's mother name & King Prithviraj Chauhan
  • इतिहास
  • भाषा-साहित्य
  • विशेष

भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम

admin 11 August 2025

Trending News

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व marigold Vedic mythological evidence and importance in Hindi 4 1
  • कृषि जगत
  • पर्यावरण
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व

20 August 2025
Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व brinjal farming and facts in hindi 2
  • कृषि जगत
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व

17 August 2025
भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम Queen Sanyogita's mother name & King Prithviraj Chauhan 3
  • इतिहास
  • भाषा-साहित्य
  • विशेष

भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम

11 August 2025
पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें Khushi Mukherjee Social Media star 4
  • कला-संस्कृति
  • मीडिया
  • विशेष
  • सोशल मीडिया

पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें

11 August 2025
दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार BJP Mandal Ar 5
  • राजनीतिक दल
  • विशेष

दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार

2 August 2025

Total Visitor

081087
Total views : 147773

Recent Posts

  • Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व
  • Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व
  • भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम
  • पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें
  • दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved 

%d