Skip to content
15 May 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • तीर्थ यात्रा
  • धर्मस्थल
  • श्रद्धा-भक्ति

मणिमहेश पर्वत का सच और भगवान शिव का महत्व

admin 28 April 2021
MANIMAHESH YATRA_6
Spread the love

अजय सिंह चौहान || हमारे प्रमुख और पौराणिक ग्रंथों में से एक बृहत् संहिता के अनुसार ईश्वर वहीं वास करते हैं जहाँ झील की गोद में कमल खिलते हों, सूर्य की किरने उसके पत्तों के बीच से झांकती हों, जहां हंस कमल के फूलों के बीच घूम रहे हो और जहाँ प्राकृतिक सौन्दय झलक रहा हो। अगर हम बृहत् संहिता में वर्णित तीर्थों के विषय में बात करें तो पता चलता है कि इस प्रकार के अधिक से अधिक तीर्थ तो हमें हिमालय पर्वत श्रंखलाओं में और देश भर की अधिकतर पहाड़ियों में ही मिलते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ऊंचे-ऊचें पर्वतों को ही भगवान शिव का मूल निवास स्थान माना जाता है।

 

हालांकि, दुनियाभर में इसके अलावा भी भगवान शिव के अनगिनत स्थान हैं जो उनके चमत्कारों के गवाह हैं और देश भर की अधिकतर पहाड़ियों में कहीं न कहीं ऐसे स्थान देखने और सुनने को मिल ही जाते हैं। लेकिन भगवान शिव के मूल निवास के रूप में कैलाश पर्वत और उसकी श्रृंखलाओं को ही पौराणिक काल से धार्मिक मान्यताओं में स्थान दिया गया है। इसी तरह का एक स्थान हिमालय पर्वत की श्रंखलाओं में स्थित हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में भी है जिसे पौराणिक काल से मणिमहेश पर्वत के नाम से जाना जाता है।

यहां ध्यान देने वाली एक बात यह है कि सनातन धर्म में पूज्य हर कैलाश पर्वत के साथ एक सरोवर सर्वव्यापक है। जैसे कि तिब्बत में कैलाश पर्वत के साथ मानसरोवर झील है और आदि-कैलाश के साथ पार्वती कुंड है। उसी प्रकार यहां भरमौर में भी कैलाश पर्वत के साथ मणिमहेश सरोवर है।

मणिमहेश कैलाश धाम हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले से लगभग 65 किमी की दूरी पर स्थित है जो बुद्धिल घाटी में स्थित है। माना जाता है कि भगवान शिव यहाँ की पहाड़ियों में आज भी निवास करते हैं और मणिमहेश धाम से उन्होंने कई लोगों को दर्शन भी दिए हैं। स्‍थानीय लोगों का मानना है कि मणिमहेश कैलाश धाम उनकी बहुत सी परेशानियों से रक्षा करता है।

मणिमहेश कैलाश पर्वत का विहंगम दृश्य
मणिमहेश कैलाश की और जाने वाले यात्रा मार्ग का विहंगम दृश्य

मणिमहेश कैलाश पर्वत की विशेषता यह है कि इसके शिखर से सुबह के समय एक ऐसा चमत्कारिक प्रकाश उभरता है जो इस पर्वत की गोद में स्थित मणिमहेश सरोवर के जल में प्रवेश करता है।

माना जाता है कि मणिमहेश कैलाश पर्वत पर यह अलौकिक प्रकाश भगवान शिव के गले में पहने शेषनाग की मणि से निकलता है। यह प्रकाश इस बात का प्रतीक माना जाता है कि भगवान शंकर कैलाश पर्वत पर बने अपने आसन पर विराजमान हो गये हैं। इसीलिए हिमाचल प्रदेश के इस चंबा जिले को विशेष रूप से शिवभूमि के नाम से भी जाना जाता है।

इस प्राकृतिक चमत्कार, उभरते हुए दिव्य और अलौकिक प्रकाश के दृश्य को देखने के लिए यहां हजारों वर्षों से हर साल विशेष तीर्थ यात्रा का आयोजन होता आ रहा है जिसे मणिमहेश कैलाश यात्रा के नाम से जाना जाता है।

मणिमहेश कैलाश की इस यात्रा में हजारों की संख्या में यात्री यहाँ आते हैं और बहुत ज्यादा ठंढ वाला तापमान होने के बावजूद भी सूर्य की पहली किरण के रूप में निकलने वाले इस विशेष प्रकाश को साक्षात् देखने के लिए सुबह-सुबह का इंतजार करते हैं।

MANIMAHESH YATRA_8
मणिमहेश कैलाश धाम की यात्रा पर जाने वाले यात्रियों की सेवा के लिए जगह-जगह मुफ्त लंगर का आयोजन

मणिमहेश कैलाश धाम के इस पर्वत की उंचाई समुद्रतल से लगभग 18,550 फुट है, जबकि इसी पर्वत की गोद में स्थित और प्राकृतिक रूप से निर्मित मणिमहेश झील समुद्रतल से लगभग 13,400 फुट की उंचाई पर है।

मणिमहेश कैलाश पर्वत की चमत्कारिक विशेषता यह है कि इसके शिखर तक जहां से यह चमत्कारिक प्रकाश उभरता है वहां आज तक कोई भी पर्वतारोही नहीं पहुंच पाया है। और जो कोई भी पर्वतारोही वहां जाने की कोशिश करता है वह जिंदा वापस नहीं लौट पाता। पर्वतारोहण से संबंधित इतिहास बताता है कि भले ही एवरेस्ट पर कई लोगों ने बार-बार जीत हासिल की हो लेकिन, इस पर्वत पर आज तक कोई भी नहीं चढ़ पाया है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि एक बार एक गडरिये ने इस पहाड़ की चोटी पर चढ़ने की कोशिश की थी, मगर वह गडरिया वहां पहुँचने से पहले ही पत्थर का बन गया। उस गडरिया को खोजने और उसका पता लगाने के लिए जो लोग वहां गये थे उन्होंने देखा कि पर्वत की ऊंचाई पर वह गडरिया और उसके साथ जो भी भेड़-बकरियां थीं वो भी पत्थर के बन गये थे। कहते हैं आज भी उनसे मिलते-जुलते पत्थरों की आकृतियां वहां पड़ी हैं।

पौराणिक और एतिहासिक तथ्यों के आधार पर माना जाता है कि मणिमहेश कैलाश पर्वत सनातन धर्म के उन प्रमुख तीर्थ स्थानों में से एक है जिनकी दर्शन यात्रा हजारों सालों से चली आ रही है। कई पौराणिक ग्रंथों और साहित्य में इसे ‘नीलमणि पर्वत’ या ‘वैदूर्यमणि पर्वत’ के नाम से जाना जाता है। अंग्रेजी साहित्य में इसे ‘टरकोइज माउंटेन’ लिखा गया है।

About The Author

admin

See author's posts

2,122

Related

Continue Reading

Previous: जानिए! क्या है मणिमहेश यात्रा का इतिहास?
Next: Trimbakeshwar Jyotirling – यहाँ आज भी पांडवो द्वारा चढ़ाया गया मुकुट पहनते हैं भगवन शिव

Related Stories

Masterg
  • विशेष
  • श्रद्धा-भक्ति

‘MAAsterG’: जानिए क्या है मिशन 800 करोड़?

admin 13 April 2025
ham vah hain jinakee pahachaan gaatr (shareer) se nahin apitu gotr (gorakshaavrat) se hai
  • विशेष
  • श्रद्धा-भक्ति

हम वह हैं जिनकी पहचान गात्र (शरीर) से नहीं अपितु गोत्र (गोरक्षाव्रत) से है

admin 30 March 2025
RAM KA DHANUSH
  • अध्यात्म
  • विशेष
  • श्रद्धा-भक्ति

श्रीरामद्वादशनामस्तोत्रम्

admin 19 March 2025

Trending News

कन्या के नामकरण को लेकर मनुस्मृति क्या कहती है? What does Manu Smriti say about the names of girls 1

कन्या के नामकरण को लेकर मनुस्मृति क्या कहती है?

9 May 2025
श्रीहरिवंशपुराण में क्या लिखा है? Harivansh Puran 2

श्रीहरिवंशपुराण में क्या लिखा है?

20 April 2025
कोई राजनीतिक दल गाय के पक्ष में नहीं, अब ये स्पष्ट हो गया है  ham vah hain jinakee pahachaan gaatr (shareer) se nahin apitu gotr (gorakshaavrat) se hai 3

कोई राजनीतिक दल गाय के पक्ष में नहीं, अब ये स्पष्ट हो गया है 

16 April 2025
‘MAAsterG’: जानिए क्या है मिशन 800 करोड़? Masterg 4

‘MAAsterG’: जानिए क्या है मिशन 800 करोड़?

13 April 2025
हम वह हैं जिनकी पहचान गात्र (शरीर) से नहीं अपितु गोत्र (गोरक्षाव्रत) से है ham vah hain jinakee pahachaan gaatr (shareer) se nahin apitu gotr (gorakshaavrat) se hai 5

हम वह हैं जिनकी पहचान गात्र (शरीर) से नहीं अपितु गोत्र (गोरक्षाव्रत) से है

30 March 2025

Total Visitor

077474
Total views : 140814

Recent Posts

  • कन्या के नामकरण को लेकर मनुस्मृति क्या कहती है?
  • श्रीहरिवंशपुराण में क्या लिखा है?
  • कोई राजनीतिक दल गाय के पक्ष में नहीं, अब ये स्पष्ट हो गया है 
  • ‘MAAsterG’: जानिए क्या है मिशन 800 करोड़?
  • हम वह हैं जिनकी पहचान गात्र (शरीर) से नहीं अपितु गोत्र (गोरक्षाव्रत) से है

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved