Skip to content
25 August 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • अध्यात्म
  • पर्यावरण

Miraculous of Science : यज्ञ में छुपा चमत्कारी विज्ञान

admin 17 January 2022
Yagna - Miraculous of Science
Spread the love

जीवन केवल भौतिक पदार्थों का संघटन मात्र नहीं है। न यह केवल चेतना का ही संचार मात्र है। जीवन चेतन-अचेतन का संमिश्रण है। न केवल पदार्थ से कार्य संपन्न हो सकते हैं न केवल चेतना से ही सारी व्यवस्था। इन दोनों का सम्यक् मिलन ही सृष्टि की सजीवता है। सम्पूर्ण ब्रह्मांड से लेकर क्षुद्र जीव तक में स्पष्टतया यह भासित होता है। सारी जगती एक अजस्र ऊर्जा स्रोत से संचालित है। ऊर्जा स्रोत का मूल ही परमेश्वर है, जिसें आज का विज्ञान प्रकृति शब्द से शब्दित करता हैं, जो ईश्वर की सत्ता को नकारना चाहता है। कोई न कोई परम व्यवस्थापक है, जिससे इतनी विचित्रतायें व्यवस्थित हैं।

जब-जब व्यवस्था में विकृति प्रकट होती है, तो उसे प्राकृत अवस्था में लाना अत्यंत आवश्यक होता है, नहीं तो सारी सृष्टि विनाश के गर्त में समा जायेगी और जीवन का सर्वनाश हो जाएगा। इसके लिए ईश्वरीय व्यवस्था भी काफी मजबूत है पर कई बार व्यष्टि कृत दोषों से समष्टि में बड़ी विकृतियां उत्पन्न हो जाती हैं, जिसे मानव समाज ही दूर कर सकता है प्रकृति नहीं। जैसे- गंगा को गंदे नाले में बदलना। गंगा स्वभावतः स्वच्छ है लेकिन हमनें उसे नष्ट करने के लिए प्रयत्न किया चाहे जानकर या अनजाने में। वायु स्वभावगत शुद्ध है और प्राकृतिक व्यवस्था से कुछ अशुद्धियां स्वतः दूर हो जाती भी हैं पर विषाक्त तो हमने बनाया न; हम विष वमन छोड़ दें तो वह अपने स्वभाव में आ जाए।

पृथ्वी, जल, आकाश, वायु, तेज इन पांच का फैलाव ही प्रपंच है, सृष्टि है ये एक-दूसरे से मिल कर अनन्त कार्य काल उत्पन्न करते हैं जिससे समय भी व्यवस्थित ढ़ंग से चलता है, चाहे वो किसी दैहिक व्यवस्था को लें या ब्रह्माण्डीय व्यवस्था को; जीवन तत्त्व के सम्बन्ध में ऋषियों के दृष्टिकोण अद्भुत् और क्रांतिकारी हैं। अतिधन्य अथर्ववेद कहता है- “अयं यज्ञो विश्वस्य भुवनस्य नाभिः।’ यह जो यज्ञ है वह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की नाभि है, नाभि यानि मूलतत्त्व, शारीरिक शास्त्र में नाभि के स्वस्थान पर रहने से ही
सम्पूर्ण शरीर स्वस्थ रहता है, जैसे ही नाभि अपने स्थान से हिलती है पाचन तंत्र बिगड़ कर शरीर और जीवन तत्त्व का नाश कर देता है। अतःएव मूल को सुरक्षित करना जरूरी है।

मंदिरों में मदिरापान- एक सोची समझी शाजिश का शिकार हो चुका है सनातन!

वेद, ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद, पुराण, स्मृतियां, इतिहास एवं अन्य ग्रंथों में हजारों सूक्तियां उपलब्ध हैं जो यज्ञ को जीवन का आधार बताती है। भगवान श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं विधिसम्मत यज्ञ से विधिसम्मत पर्जन्य पैदा होता है और उस यज्ञ निर्मित मेघ से उत्कृष्ट अन्न उत्पन्न होता है और उस उत्कृष्ट अन्न से हमारा शरीर उत्पन्न एवं सम्पुष्ट होता है। वस्तुतः सृष्टि चक्र को ढ़ंग से चलते रहने के लिए यज्ञ ही एकमात्र उपाय है। आपस में सम्पूर्ण व्यष्टि समष्टि जुड़ी हुई है। अतः एक दूसरे का ध्यान रखकर ही हम आगे बढ़ सकते हैं। हवा-पानी, वनस्पतियां व प्राणी जगत-एक दूसरे के उपकारक हैं।

आज वायु प्रदूषण से नाना प्रकार के जटिल रोग अत्यधिक बढ़ रहे हैं, इन्हें रोकने के सारे तरीके तो अपर्याप्त हो चुकें हैं। यज्ञ ही वह उपाय है जिससे समष्टि जीव-जगत नीरोग हो सकता है। विधि-विधान पूर्वक समंत्रक यज्ञ अपनी ऊर्जा के द्वारा सबको विषाणुहीन बना कर शरीर को, वृक्षों को, वनस्पतियों को, पशुओं को व पर्यावरण को प्राणवान बना देता है।

यज्ञ अग्नि एवं वेदः ध्वनि अपनी ओजस्विनी शक्ति का प्रभाव सब पर छोड़ते हैं और आज आधुनिक-विज्ञान भी यह तथ्य मानने के लिए विवश है। वेद कहता है- ‘यज्ञो वै परशुः’ यज्ञ फरसा गड़ासा या कुलहाड़ी है। अब विचार करें कि यज्ञ को फरसा क्यों कहा गया है ? क्या काटता है यज्ञ? हमारे वातावरण के मध्य जो प्रदूषण की विष-बेल उग आई है उसे काटने के लिए यज्ञ ही फरसा है। जीवन में रोगाणुओं को नष्ट करने के लिए यज्ञ ही फरसा है। समाज में व्याप्त पापाचार, भ्रष्टाचार, व्यभिचार, अनाचार व दुराचार को नष्ट करने के लिए यज्ञ ही फरसा है। यज्ञ ही वह विधि बताता है कि कैसे जियें। यज्ञ कर्ता जिन मंत्रांे का प्रयोग करता है उनका कभी न कभी विचार जरूर करता है तब आध्यात्मिक रहस्य उद्घाटित होता है।

Surgery in Ayurveda : वैदिक काल के कुछ चमत्कारिक ऑपरेशन

वेद कहता है ‘यज्ञो वै आपः यज्ञो वै अन्नं यज्ञो वै विष्णुः यज्ञो वै प्रजापतिः।’ इन सभी मंत्रों के गूढ़ अर्थ को समझ कर ही राष्ट्र कल्याण हो सकता है। यज्ञ से प्रभावित मेघ सुवृष्टि करके राष्ट्र को समृद्ध करते हैं। यह यज्ञ ही जल है और यही यज्ञ हमारे सामने अन्न देवता के रूप में प्रकट होता है। इसलिए शास्त्र सावधान करता है कि अन्न का कभी भी भूलकर भी अपमान मत करो, उसका दुरुपयोग मत करो या नष्ट मत करो, क्योंकि यह अन्न किसी प्राणी को जीवन दे सकता है।

आज आधुनिकता की चकाचैंध में ऋषियों की यह करुण दृष्टि धुमिल हो रही है। यज्ञ से ही प्रजा की रक्षा होती है और यज्ञ ही व्यापक होकर विष्णु बन कर सबका पालन करता है। चिकित्सा जगत में भी यज्ञोपैथी का प्रचलन बढ़़ रहा है, जिसमें विशिष्ट रोगों को विशिष्ट औषधियों के हवन के द्वारा समाप्त किया जाता है। यज्ञ की व्यापकता कितनी है यह शास्त्रों के दर्शन प्रसार से ही पता चलता है। जो यज्ञ नहीं करता उसका देवत्व समाप्त हो जाता है और उसकी आने वाली पीढ़ियांे में और उसमें भी असुरक्षा का संचार हो जाता है। यज्ञ से श्रेष्ठतम कर्म कोई भी नहीं है।

यज्ञ से ही असुरक्षा का संहार होकर मानवता की अभिवृद्धि होती है और एक अभिनव युग का संकल्प पूर्ण हो सकता है। इसलिए विधि को समझ कर विधान पूर्वक यज्ञ करने पर सम्पूर्ण मानवता कल्याण की भागी बन सकती है, क्योंकि जो यज्ञ को त्यागता है उसे परोपकार भी त्याग देता है।

. शिवयोगी रघुवंश पुरी

About The Author

admin

See author's posts

1,663

Like this:

Like Loading...

Related

Continue Reading

Previous: हिंदू हित में जो बोलेगा, कुचल दिया जाएगा : Yati Narsinghanand
Next: Miraculous Science : यज्ञ से शुद्धि करें – स्वस्थ रहें

Related Stories

marigold Vedic mythological evidence and importance in Hindi 4
  • कृषि जगत
  • पर्यावरण
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व

admin 20 August 2025
Harivansh Puran
  • अध्यात्म
  • विशेष

श्रीहरिवंशपुराण में क्या लिखा है?

admin 20 April 2025
Godavan- Great Indian Bustard Bird in danger
  • पर्यावरण
  • विशेष

लुप्त होते गोडावण पक्षी का कल, आज और कल

admin 21 March 2025

Trending News

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व marigold Vedic mythological evidence and importance in Hindi 4 1
  • कृषि जगत
  • पर्यावरण
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व

20 August 2025
Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व brinjal farming and facts in hindi 2
  • कृषि जगत
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व

17 August 2025
भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम Queen Sanyogita's mother name & King Prithviraj Chauhan 3
  • इतिहास
  • भाषा-साहित्य
  • विशेष

भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम

11 August 2025
पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें Khushi Mukherjee Social Media star 4
  • कला-संस्कृति
  • मीडिया
  • विशेष
  • सोशल मीडिया

पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें

11 August 2025
दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार BJP Mandal Ar 5
  • राजनीतिक दल
  • विशेष

दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार

2 August 2025

Total Visitor

081126
Total views : 147827

Recent Posts

  • Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व
  • Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व
  • भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम
  • पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें
  • दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved 

%d